रैम और रोम में क्या अंतर है ? | Ram /Rom Mein Kya Antar Hai In Hindi

 

मैमोरी

मैमोरी में डेटा निर्देश एवं सूचनाएं जमा होती है । माइक्रोप्रोसेर की तरह मैमोरी भी चिप्स में होती है जो कि सिस्टम बोर्ड से जुड़ी होती है । मैमोरी चिप मुख्यतः तीन प्रकार की होती है : रैन्डम- एक्सेस मैमोरी ( रैम ) , रीड ओनली मैमोरी ( रोम ) और फ्लैश मैमोरी

रैम ( RAM )

रैन्डम- एक्सेस मैमोरी ( रैम ) चिप उन प्रोग्रामों ( निर्देशों की श्रृंखला ) और डेटा को जमा करके रखता है जिन्ह सीपीयू वर्तमान में प्रोसेस कर रहा है । रैम को अस्थायी या वोलाटाइल स्टोरेज कहा जाता है क्योंकि जैसे ही माइक्रोप्रोसेसर को बंद किया जाता है वैसे ही अधिकांश प्रकार के रैम में उसमें मौजूद सूचनाएं खत्म हो जाती हैं । बिजली चले जाने या माइक्रोप्रोसेसर में विद्युत करंट में कोई गड़बड़ होने से भी ऐसा हो जाता है । परन्तु सेकंडरी स्टोरेज जिसकी चर्चा हम next post में करेंगे । यह एक स्थायी अथवा नॉन वोलाटाइल स्टोरेज होता है जैसे कि हार्ड डिस्क पर स्टोर किया गया डेटा । जैसे कि हमने पहले कहा था कि इसी कारण से जैसे - जैसे काम होता जाए उसे सेकंडरी स्टोरेज डिवाइ में बार - बार सेव करना अच्छा रहता है । इसका अर्थ यह हुआ कि यदि आप किसी डाक्यूमेंट या किसी स्प्रेडशीट पर कार्य कर रहे हों तो प्रत्येक कुछ मिनट में आपको उस सामग्री को सेव करते रहना चाहिए ।
कैश मैमोरी , मैमोरी और सीपीयू के बीच एक अस्थाई तेज गति के होल्डिंग एरिया के रूप में कार्य करके प्रोसेसिंग को तेज करती है । कंप्यूटर यह पता करता है कि रैम में जमा किस सूचना का अधिक प्रयोग किया जा रहा है और उस सूचना को कैश में कॉपी करता है । जरूरत पड़ने पर सीपीयू कैश से तुरंत उस सूचना को प्राप्त कर सकते हैं 
अधिक रैम होना महत्वपूर्ण है । उदाहरण के लिए , माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007 का प्रभावी ढंग से प्रयोग करने के लिए आपको कम से कम 256 एमबी की रैम चाहिए जिसमें प्रोग्राम को होल्ड कर के रखा जा सके और आपरेटिंग सिस्टम के लिए 512 से 1024 एमबी तक की रम चाहिए । कुछ ऐप्लीकेशन जैसे फोटो एडिटिंग साफ्टवेयर के लिए अधिक मैमोरी की जरूरत पड़ सकती है । अच्छी बात यह है कि सिस्टम बोर्ड में DIMM ( डुयल इन लाइन मैमोरी मोड्यूल ) नामक विस्तार मोड्यूल को जोड के कंप्यूटर सिस्टम में अतिरिक्त रैम शामिल की जा सकती है । रैम की क्षमता अथवा मात्रा को बाइट में अभिव्यक्त किया जाता है । मैमोरी की क्षमता को बताने के लिए सामान्य तीन मापन इकाइयों का प्रयोग किया जाता है ।

रैम के अन्य प्रकार में DRAM . SDRAM , DDR . और डायरेक्ट में आरडी रैम शामिल है ।
यदि आपके कंप्यूटर में किसी प्रोग्राम को रखने के लिए पर्याप्त रैम नहीं हैं तो भी वह वरचुअल मैमोरी का प्रयोग करके उस प्रोग्राम को चला सकता है । आजकल के अधिकांश ऑपरेटिंग सिस्टम वरचुअल मैमोरी के साथ आते हैं । वरचुअल मैमोरी के साथ बड़े प्रोग्राम को हिस्से में बांटा जाता है और उन हिस्सों को सेकडरी डिवाइस में सामान्यतः हार्ड डिस्क में स्टोर किया जाता है । तत्पश्चात प्रत्येक हिस्से को जरूरत पड़ने पर ही रैम में रीड किया जाता है । इस तरीके से कंप्यूटर सिस्टम बड़े प्रोग्राम पे काम कर पाते हैं ।

रोम

रीड ओनली मैमोरी ( रोम ) चिप होती है जिसमें निर्माता द्वारा सूचना स्टोर की जाती है । रैम चिप से अलग रोम चिप वोलेटाइल नहीं होती और प्रयोक्ता द्वारा बदली नहीं जा सकती है । रोड ओनली का अर्थ है कि सीपीयू रोम चिप पर सेव किए गए डेटा और प्रोग्राम को पढ़ सकता है , लेकिन कंप्यूटर रोम में दी गई सूचना या निर्देश को राइट - इनकोड या बदल नहीं सकता । रोम चिप में विस्तृत कंप्यूटर आपरेशनों के लिए विशेष निर्देश होते हैं । उदाहरण के लिए कंप्यूटर को स्टार्ट करने , मैमोरी एक्सेस करने और बेसिक कीबोर्ड इनपुट को हैंडल करने के लिए रीम निर्देश की जरूरत होती है ।

फ्लैश मैमोरी

पलैश मैमोरी में रैम और रोम की संयुक्त विशेषताएं सम्मिलित होती है । रैम की तरह इसे नई सूचना स्टोर करने के लिए अपडेट किया जा सकता है । रोम की तरह यह कंप्यूटर सिस्टम पर विद्युत आपूर्ति बंद होने पर सूचना सुरक्षित रखता है । फ्लैश मैमोरी का प्रयोग कई तरह के कार्यों के लिए किया जाता है । उदाहरण के लिए , इसे किसी कंप्यूटर में स्टार्ट - अप निर्देश स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाता है । इस सूचना में रैम की क्षमता और सिस्टम यूनिट से जुड़े कीबोर्ड माउस और सेकंडरी स्टोरेज डिवाइस से संबंधित विशेषताएं शामिल होती हैं । यदि कंप्यूटर सिस्टम में बदलाव किए जाते हैं तो इस बदलावों को फ्लैश मैमोरी में दिखाया जाता है ।

Post a Comment

Previous Post Next Post