इलैक्ट्रॉनिक डेटा और निर्देश
क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है कि हम डिजिटल दुनिया में रहते हैं ? ऐसा इसलिए है क्योंकि कंप्यूटर हमारे और आपके समान जानकारियों की पहचान नहीं कर सकते । लोग निर्देशों का पालन करते हैं और अक्षरों , अंको एवं विशेष चिन्हों का प्रयोग करके डेटा प्रोसेस करते हैं । उदाहरण के लिए यदि हम चाहते हैं कि कोई 3 और 5 अंकों को एक साथ जोड़े और उत्तर रिकॉर्ड करें तो हम कहेंगे " कृपया 3 और 5 को जोड़ें " । सिस्टम यूनिट एक इलैक्ट्रॉनिक सर्किट है और इस प्रकार के अनुरोध को सीधे प्रोसेस नहीं कर सकती । हमारी आवाज एनालॉग अथवा निरंतरता , सिगनल का निर्माण करती है , जो विभिन्न टोन , पिच और वॉल्यूम का प्रतिनिधित्व करती है । हालांकि कंप्यूटर केवल डिजिटल इलैक्ट्रॉनिक सिग्नलों को ही पहचान सकते हैं । इससे पहले की सिस्टम यूनिट के अन्दर कोई भी प्रक्रिया हो , सूचना का रूपांतरण होना होगा , जिससे सिस्टम यूनिट उसे सफलता से इलैक्ट्रानिक प्रोसस कर सके ।
आप इलैक्ट्रिसिटी के विषय में सबसे मौलिक कथन क्या बना सकते हैं ? सबसे सरल है : यह ऑन या ऑफ की जा सकती है । वास्तव में तकनीक के बहुत सारे रूप हैं , जो इस दो प्रकार की स्थिति ऑन / ऑफ हां / नहीं उपस्थित / अनुपस्थित व्यवस्था का उपयोग करते हैं ।
उदाहरण के लिए लाइट का बटन ऑन / ऑफ हो सकता है अथवा इलैक्ट्रिक सर्किट खुल या बन्द हो सकता है । टेप और डेस्क के विशेष स्थान पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभार हो सकता है । यही कारण होगा की टू - स्टेट ( दो स्थिति ) अथवा बाइनरी सिस्टम का उपयोग डेटा और निर्देश को प्रस्तुत करने के लिए होता है । डेसिमल सिस्टम जिससे हम सभी परिचित है - 10 अंको ( 0 , 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 ) का होता है । बाइनरी सिस्टम में मात्र दो अंक शून्य ( 0 ) और एक ( 1 ) सम्मिलित है । शून्य या एक को बिट कहा जाता है बिट बाइनरी डिजिट है , सिस्टम यूनिट में 1 को सकारात्मक प्रभार द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तथा 0 को नकारात्मक इलैक्ट्रिकल प्रभार द्वारा नंबर , लैटर और चिन्हों को प्रस्तुत करने के क्रम बिट्स आठ के समूह में सम्मिलित हो जाते है , जो बाइट्स कहलाते हैं । तब एक अथवा अधिक बाइट एनकोडिंग योजना कैरेक्टर के भाग के रूप में एल्फाबेटिक और विशेष चिन्ह को प्रस्तुत करने के लिए । प्रयोग में लाए जा सकते हैं ।
बाइनरी कोडिंग स्कीम
चलिए , अब हम एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर ध्यान देते हैं । " किस प्रकार से कंप्यूटर में कैरेक्टर को 0 और 1 के तौर पर प्रस्तुत करते हैं ( " ऑफ " और " ऑन " इलैक्ट्रिकल स्थिति ) ? " इसका उत्तर बाइनरी कोडिंग स्कीम के उपयोग में है । बाइनरी कोडिंग स्कीम हर कैरेक्टर को बिट्स का एक अलग क्रम प्रदान करती है । ये दो कोड ASCII और EBCDIC। हाल ही में विकसित कोड यूनीकोड 16 बिट्स का प्रयोग करता है ।
- ASCII , " एस - की " पुकारा जाने वाले इस कोड का पूरा नाम American Standard Code for Information Interchange है । यह एक पुराना कोड है जो अभी भी माइक्रोकंप्यूटर के लिए अधिक प्रयोग होता है । उदाहरण के लिए नंबर 3 को ASCII कोड में 0011 0011 के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है ।
- EBCDIC , ' cb - see - dick , Extended Binary Coded Decimal Interchange Code है । यह एक पुराना कोड है जो मूल रूप से IBM द्वारा विकसित किया गया था और मुख्य रूप से बड़े कंप्यूटरों के लिए प्रयुक्त होता है । उदाहरण के लिए नंबर 3 को EBCDIC कोड में 1111 0011 के तौर पर प्रस्तुत किया जाता है ।
- यूनीकोड 16 बिट कोड का परिवार है जो ASCII और EBCDIC दोनों का सहायक है । इसका प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं जैसे चीनी और जापानी के लिए भी होता है । इन भाषाओं में बहुत अधिक कैरेक्टर हैं जो आठ बिट ASCII और EBCDIC कोड द्वारा प्रस्तुत नहीं किए जा सकते । जब आप कीबोर्ड पर कोई ' की ' दबाते हैं तो कैरेक्टर स्वतः ही इलैक्ट्रॉनिक पल्सिस में परिवर्तित हो जाती हैं जिसे सिस्टम पहचान सकता है । उदाहरण के लिए , कीबोर्ड पर नंबर 3 दबाने पर इलैक्ट्रॉनिक सिग्नल माइक्रोकंप्यूटर के सिस्टम यूनिट तक पहुंचता है , जहां ये कैरेक्टर कोड 0011 0011 में परिवर्तित हो जाता है ।
सामान्यतः यह समस्या तब नहीं आती यदि दोनों कंप्यूटर माइक्रोकंप्यूटर हों क्योंकि उनमें यूनीकोड का प्रयोग होता है , तथा अधिकांश माइक्रोकंप्यूटर ऐप्लीकेशन डेटा स्टोर करने के लिए कोड का प्रयोग करते हैं । फिर भी समस्या तब हो सकती है , जब कई माइक्रोकंप्यूटर और पुराने कंप्यूटर जो EBCDIC कोड का उपयोग कर रहे हों , के बीच डेटा का सांझा हो । डेटा को प्रक्रिया के प्रारंभ होने से पहले ही एक कोडिंग से अन्य में अनुवादित किया जाना चाहिए ।
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