सिस्टम यूनिट का परिचय

परिचय

कुछ माइक्रोकंप्यूटर्स अन्य की तुलना में अधिक शक्तिशाली क्यों होते है ? इसका उत्तर तीन शब्दों में निहित है : गति , क्षमता और लचीलापन इस अध्याय को पढ़ने के बाद आप यह निर्णय कर पाएंगे कि माइक्रोकंप्यूटर कितना शक्तिशाली , तीव्र एवं बहुमुखी है । जैसाकि आप भी चाहेंगे , यदि आप नया माइक्रोसॉफ्ट सिस्टम खरीदने या अपने मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड करने की योजना बना रहे हैं , तो यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी । यह जानकारी इस बात के मूल्यांकन में भी आपकी मदद करती है कि मौजूदा माइक्रोकंप्यूटर सिस्टम आज की नई एवं रोमांचक ऐप्लीकेशंस के लिए पर्याप्त है या नहीं । ) उदाहरण के लिए सही हार्डवेयर के साथ और अपने कंप्यूटर को काम करते समय टीवी देखने प्रस्तुतिकरण हेतु वीडियो क्लिप्स लेने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं मे कभी जब तकनीशियन माइक्रोकंप्यूटर को खाल और आपको देखने का अवसर मिले तो आप देखेंगे कि यह मूल रूप से इलैक्ट्रॉनिक सर्किट का संग्रह है । हालांकि ये सभी भाग कैसे कार्य करते हैं जानने की आवश्यकता नहीं है , फिर भी इन सिद्धांतों को जानना अच्छा होगा । इन सिद्धांतों को समझने के बाद आप यह निर्धारित करने के योग्य हो जाएंगे कि एक माइक्रोकंप्यूटर कितना शक्तिशाली है । आप यह निर्णय कर पाएंगे कि एक उपभोक्ता के तौर पर यह माइक्रोकंप्यूटर निर्धारित कार्यक्रम को चला सकता है एवं आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है । एक सक्षम उपयोगकर्ता को सिस्टम बोर्ड माइक्रोप्रोसेसर , मैमोरी , एक्सपेंशन स्लॉट तथा कार्ड बरा लाइन पोर्ट्स , केबल और बिजली आपूर्ति यूनिट सहित सिस्टम यूनिट मूल अंगों ( कम्पोनेन्ट ) की कार्यशीलता को समझने की आवश्यकता है ।

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है कि हम डिजिटल दुनिया में रहते हैं ? ऐसा इसलिए है क्योंकि कंप्यूटर हमारे और आपके समान जानकारियों की पहचान नहीं कर सकते । लोग निर्देशों का पालन करते हैं और अक्षरों , अंको एवं विशेष चिन्हों का प्रयोग करके डेटा प्रोसेस करते हैं । उदाहरण के लिए यदि हम चाहते हैं कि कोई 3 और 5 अंकों को एक साथ जोड़े और उत्तर रिकॉर्ड करें तो हम कहेंगे " कृपया 3 और 5 को जोड़ें " । सिस्टम यूनिट एक इलैक्ट्रॉनिक सर्किट है और इस प्रकार के अनुरोध को सीधे प्रोसेस नहीं कर सकती । हमारी आवाज एनालॉग अथवा निरंतरता , सिगनल का निर्माण करती है , जो विभिन्न टोन , पिच और वॉल्यूम का प्रतिनिधित्व करती है । हालांकि कंप्यूटर केवल डिजिटल इलैक्ट्रॉनिक सिग्नलों को ही पहचान सकते हैं । इससे पहले की सिस्टम यूनिट के अन्दर कोई भी प्रक्रिया हो , सूचना का रूपांतरण होना होगा , जिससे सिस्टम यूनिट उसे सफलता से इलैक्ट्रानिक प्रोसस कर सके ।
आप इलैक्ट्रिसिटी के विषय में सबसे मौलिक कथन क्या बना सकते हैं ? सबसे सरल है : यह ऑन या ऑफ की जा सकती है । वास्तव में तकनीक के बहुत सारे रूप हैं , जो इस दो प्रकार की स्थिति ऑन / ऑफ हां / नहीं उपस्थित / अनुपस्थित व्यवस्था का उपयोग करते हैं । उदाहरण के लिए लाइट का बटन ऑन / ऑफ हो सकता है अथवा इलैक्ट्रिक सर्किट खुल या बन्द हो सकता है । टेप और डेस्क के विशेष स्थान पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभार हो सकता है । यही कारण होगा की टू - स्टेट ( दो स्थिति ) अथवा बाइनरी सिस्टम का उपयोग डेटा और निर्देश को प्रस्तुत करने के लिए होता है । डेसिमल सिस्टम जिससे हम सभी परिचित है - 10 अंको ( 0 , 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 ) का होता है । बाइनरी सिस्टम में मात्र दो अंक शून्य ( 0 ) और एक ( 1 ) सम्मिलित है । शून्य या एक को बिट कहा जाता है बिट बाइनरी डिजिट है , सिस्टम यूनिट में 1 को सकारात्मक प्रभार द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तथा 0 को नकारात्मक इलैक्ट्रिकल प्रभार द्वारा नंबर , लैटर और चिन्हों को प्रस्तुत करने के क्रम बिट्स आठ के समूह में सम्मिलित हो जाते है , जो बाइट्स कहलाते हैं । तब एक अथवा अधिक बाइट एनकोडिंग योजना कैरेक्टर के भाग के रूप में एल्फाबेटिक और विशेष चिन्ह को प्रस्तुत करने के लिए । प्रयोग में लाए जा सकते हैं ।

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