बेसिक ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर

परिचय अधिक समय पहले की बात नहीं है जब कुशल विशेषज्ञों को अपने कार्यों के प्रदर्शन की आवश्यकता पड़ती थी जो अब माइक्रोकंप्यूटर के साथ संभव हो गया है । पहले व्यापारिक पत्रव्यवहार के लिए सचिव टाइपराइटर का प्रयोग करते थे । बाजार विश्लेषक परियोजना की बिक्री के लिए कैलकुलेटर का प्रयोग करते थे । ग्राफिक कलाकार हाथ से डिज़ाइन बनाते थे डेटा प्रोसेसिंग क्लर्क विशाल कंप्यूटर में संग्रहीत करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक फाइलें बनाते थे । अब आप इन सभी कार्यों के साथ - साथ अनेक अन्य कार्य माइक्रोकंप्यूटर और उपर्युक्त ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर के साथ कर सकते हैं । माइक्रोकंप्यूटर को एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के रूप में विचार करें ।
संभव है कि आप टाइपिंग , गणना , संयोजन प्रस्तुति अथवा जानकारी संयोजन में स्वयं को बहुत अच्छा नहीं मानते हों । फिर भी माइक्रोकंप्यूटर इन सभी कार्यों में और इनसे भी अधिक अनेक कार्यों में आपकी सहायता कर सकता है । इसके लिए उचित सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है । सक्षम यूजर को मूल ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर की क्षमता को समझने की आवश्यकता होती है , जिसमें वर्ड प्रोसेसर , स्प्रेडशीट , डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम और प्रोग्राम प्रेजेंटेशन सम्मिलित है । उन्हें सम्पूर्ण पैकेज और सॉफ्टवेयर सूइट को जानने की आवश्यकता होती है ।

ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर :- जैसे हमने अध्याय 1 में चर्चा की , कंप्यूटर में दो प्रकार के सॉफ्टवेयर होते है । सिस्टम साफ्टवेयर यूज़र के साथ कार्य करता है , और ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर तथा कंप्यूटर हार्डवेयर अधिकांश तकनीकी ब्यारे को संभालते हैं । • ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को एंड यूज़र सॉफ्टवेयर के तौर पर वर्णित किया जा सकता है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूर्ण करने में होता है । तत्पश्चात् ऐप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है । प्रथम श्रेणी , बेसिक ऐप्लीकेशन की है , जिस पर इस अध्याय में प्रकाश डाला गया है । इन प्रोग्रामों का उपयोग विस्तृत रूप से लगभग सभी व्यवसायों में होता है । इसमें वर्ड प्रोसेसर , डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम और प्रेजेंटेशन ग्राफिक्स सम्मिलित होते हैं । अन्य श्रेणी में विशिष्ट ऐप्लीकेशन होते हैं , जिनमें हजारों अन्य प्रोग्राम आते हैं , जो विशिष्ट प्रकार के अनेक व्यवसायों से संबन्धित होते हैं । 

कॉमन फीचर्स :- यूजर इंटरफेस ऐप्लीकेशन में कॉमन फीचर्स के जरिए आप अपने प्रोग्राम को नियंत्रित रख सकते हैं और उससे संपर्क कर सकते हैं । अधिकांश ऐप्लीकेशन में , ग्राफिकल यूजर इंटरफेस ( जी.यू.आई. ) ( GUI ) का उपयोग होता है , जिसमें विभिन्न तत्वों और माउस के लिए आइकन नामक ग्राफिकल तत्व प्रदर्शित होते हैं । प्वाइंटर्स के रूप में स्क्रीन पर प्रदर्शित आइकन माउस का प्रतिनिधित्व करते हैं , जिनका उपयोग विभिन्न तत्वों के चुनाव में होता है । विंडो के द्वारा जानकारी प्रदर्शित की जाती है । विंडो एक ऐसा आयताकार स्थान होता है जिसमें डॉक्यूमेंट , प्रोग्राम अथवा संदेश को शामिल किया जा सकता है । ( स्क्रीन पर नज़र आने वाली विंडो और माइक्रोसॉफ्ट के विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम के बीच प्रमित न हों ) कंप्यूटर स्क्रीन पर एक समय में एक से अधिक विंडो खोली और प्रदर्शित की जा सकती है । पारंपरिक रूप से माइक्रोसाफ्ट ऑफिस में सम्मिलित अधिकांश सॉफ्टवेयर प्रोग्राम में मैन्यू , टूलबार डायलॉग बॉक्स और बटन का उपयोग होता है । जब स्क्रीन के शीर्ष पर स्थित मेन्यू बार में प्रदर्शित किसी आइटम का चयन किया जाता है , तो मेन्यू में विकल्प की अतिरिक्त सूची अथवा एक डायलॉग बॉक्स नज़र आता है ,
जिसमें अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध होती है और उपयोगकर्ता के अनुरोध प्रदर्शित हो सकते हैं । टूलबार मूल रूप से मेन्यू बार के नीचे दिखाई देता है । इनमें छोटे ग्राफिक तत्व होते हैं , जो बटन कहलाते हैं जिनके ज़रिए सामान्य निर्देशों तक शीघ्र पहुंचने के लिए शॉर्टकट उपलब्ध होते हैं । माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2007 ने इंटरफ़ेस को बदल दिया जिसका प्रयोजन किसी ऐप्लीकेशन की सभी विशेषताओं को और उनका उपयोग यूज़र के लिए अधिक सरल बनाना था । इस नए डिज़ाइन ने रिबन , टैब्स , गैलरी आदि का परिचय करवाया ।
  1.  रिबन मेन्यू और टूलबार का स्थान पर सामान्यतः उपयोग होने वाले निर्देशों के सेट को एक टैब में व्यवस्थित करते हैं । ये टैब कमांड विभिन्न ऐसे बटनों को दर्शाते हैं , जिनका उपयोग यूज़र अक्सर करता है । 
  2. टैब्स रिबन को मुख्य गतिविधि के विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित करने के कार्य करते हैं । तत्पश्चात् , प्रत्येक टैब एक ग्रुप में वर्गीकृत हो जाता है , जिसमें संबंधित आइटम होते हैं । कुछ टैब को कांटैक्सचुअल टैब्स कहते हैं , ये तभी नज़र आते हैं , जब इनकी आवश्यकता हो और यूज़र द्वारा अगले ऑपरेशन में इनको प्रदर्शित करने की आशा हो ।
  3.  गैलरी विकल्पों की सूची से चयन की प्रक्रिया सरल बनती है । यह विकल्पों के छोटे ग्राफिक निरूपण के प्रदर्शन द्वारा पूरा होता है । यह नया इंटरफेस एक दशक से भी अधिक समय में आया पहला प्रमुख बदलाव है और जिससे यूज़र की कार्यक्षमता और दक्षता में वृद्धि होने की आशा है । कुछ ऐप्लीकेशन में स्पीच रिकगनिशन की सुविधा होती है , जिसमें आवाज़ के इनपुट को स्वीकार करके मेन्यू के विकल्पों को चुना जा सकता है और टेक्स्ट बोलकर लिखवाया जा सकता है ।

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