इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स क्या है ? | what is electronic commerce

 - कॉमर्स के नाम से भी प्रचलित इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के ज़रिए इंटरनेट पर वस्तुओं को खरीदा एवं बेचा जाता है । क्या आपने कभी इंटरनेट से कुछ खरीदा है ? यदि नहीं , तो संभव है कि आप अगले एक या दो वर्षों में ऐसा करें इंटरनेट पर खरीददारी तेजी से विकसित हो रही है तथा इसका कोई अंत नहीं दिखाई देता । ई - कॉमर्स के तेज विकास का प्रमुख कारण यह है कि यह खरीददारों एवं विक्रेताओं दोनों को लाभ की सुविधाएं उपलब्ध कराता है । खरीददार के संदर्भ में , वस्तुएं तथा सेवाएं दिन - रात किसी भी समय खरीदी जा सकती है । जबकि परंपरागत विपणन में व्यापार तब तक सीमित होता है , जब तक दुकानें खुली रहती है । इसके अतिरिक्त खरीददार को विक्रेता की दुकान पर स्वयं जाने की आवश्यकता नहीं होती है । उदाहरण के लिए , छोटे बच्चों के व्यस्त माता - पिता को खरीददारी करने के लिए अलग से समय निकालने या बेबी सिटर की आवश्यकता नहीं होती है । विक्रताओं के संदर्भ में , दुकान पर होने वाले खर्चों से जुड़ी लागतों को बचाया जा सकता है । उदाहरण के लिए , एक संगीत स्टोर वास्तविक स्टोर को खोले बिना तथा बिना कर्मचारियों की भीड़ जमा किए पूरी तरह से वेब पर चल सकता है । इसके फलस्वरूप स्टॉक की मात्रा कम होती है । परंपरागत स्टोरों में वस्तुओं के स्टॉक का प्रबंधन किया जाता है तथा समय - समय पर इस स्टॉक को गोदाम से पूरा करते हैं । ई - कॉमर्स में , किसी स्टॉक की आवश्यकता नहीं होती तथा वस्तुओं के गोदाम से सीधे भेजा जाता है ।

जहां ई - कॉमर्स के कई लाभ है , वहीं कुछ नुकसान भी हैं । इसके अवगुणों में शामिल हैं , वस्तुओं को तुरंत ग्राहक तक पहुंचाने में अक्षमता , खरीददारी के समय वस्तु को आजमाया नहीं जा सकता , तथा ऑनलाइन भुगतान में सुरक्षा से संबंधित मामले । हालांकि इन तथ्यों पर विचार किया जा रहा है , लेकिन बहुत कम पर्यवेक्षक मानते हैं कि ई - कॉमर्स पूरी तरह से सामान्य व्यापार को स्थानांतरित कर सकता है । स्पष्ट है कि ये दोनों साथ में रहेंगे तथा ई - कॉमर्स का विकास जारी रहेगा ।

किसी अन्य व्यापार की तरह , इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स में दो पक्ष शामिल होते हैं- व्यापारी तथा उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के तीन मूल प्रकार हैं 

 बिज़नेस टू कन्ज्यूमर ( B2C ) आम लोगों या उपभोक्ताओं के लिए किसी उत्पाद या सेवा की बिक्री करता है । अक्सर इस व्यवस्था के माध्यम से उत्पादक अपने उत्पाद उपभोक्ता को सीधे बेचता है तथा बिचौलियों का महत्व खत्म हो जाता है । इसके अतिरिक्त , मौजूदा फुटकर विक्रेता वेब के माध्यम से भी अपने उपभोक्ता तक पहुंचने के लिए वेब पर अपनी मौजूदगी बनाने के लिए बी - 2 - सी ई - कॉमर्स का उपयोग करते हैं । 

कन्ज्यूमर टू कन्ज्यूमर ( C2C ) वस्तुएं बेचने के लिए विभिन्न व्यक्तियों को शामिल करता है । यह अक्सर क्लासीफाइड विज्ञापनों या किसी नीलामी के एक इलेक्ट्रॉनिक रूप में नज़र आता है ।

बिज़नेस टू बिज़नेस ( B2B ) व्यापार में दो व्यापारियों का आपस में उत्पादन और सेवाओं की बिक्री होती है । यह विशेष रूप से उत्पादक - वितरक के बीच का संबंध है । जैसे , एक फर्नीचर उत्पादक को कच्चे माल की आवश्यकता होती है जैसे लकड़ी , पेंट तथा वार्निश ।

बिज़नेस टू कन्ज्यूमर ई - कॉमर्स ई - कॉमर्स का सबसे ज़्यादा विकसित रूप है , बिजनेस टू कन्ज्यूमर बड़ी कॉर्पोरेशन , छोटी कॉर्पोरेशन , तथा आरंभिक व्यापारियों के द्वारा इसका उपयोग किया जाता है । क्योंकि ई - कॉमर्स में शुरुआती कंपनियों को बड़े व्यवस्थित व्यवसाय के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए परंपरागत रिटेल आउटलेट तैयार करने के लिए ज्यादा निवेश और बड़ी मार्केटिंग तथा सेल्स स्टाफ की जरूरत नहीं होती है । व्यापक रूप में सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले B2C एप्लीकेशन में से तीन हैं , ऑनलाइन बैंकिंग , वित्तीय व्यवसाय तथा खरीददारी ।

ऑनलाइन बैंकिंग , बैंकिंग सेवाओं की मुख्य विशेषता बनता जा रहा है । ग्राहक कई बैंकिंग सेवाओं को प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन जा सकते हैं । इन ऑनलाइन ऑपरेशन में एक्सेसिंग अकाउंट सूचना , बैलेंस चेक बुक , फंड स्थानांतरण , बिल भुगतान तथा ऋण के लिए आवेदन शामिल करना आदि शामिल हैं ।

ऑनलाइन स्टॉक व्यापार , इंटरनेट पर निवेशकों को स्टॉक्स तथा बॉन्ड्स के बारे में शोध करने , खरीदने एवं बेचने की अनुमति देता है । ई - ट्रेडिंग एक परंपरागत फुल सर्विस ब्रोकर के उपयोग से कहीं ज्यादा सुविधाजनक होती है ।

ऑनलाइन खरीददारी इंटरनेट पर उपभोक्ता को वस्तुओं को विस्तृत रूप से खरीदने एवं बेचने की सुविधा प्रदान करती है । ( चित्र 2-18 देखिए ) इस क्षेत्र में हज़ारों ई - कॉमर्स की एप्लीकेशन उपलब्ध हैं । संयोगवश , ऐसी अनेक वेब साइट हैं जो उपभोक्ताओं को उत्पादों की तुलना करने तथा कम कीमतों का पता लगाने के लिए सहायता उपलब्ध कराती हैं ।

कंज्यूमर टू कंज्यूमर ई - कॉमर्स C2C ई - कॉमर्स में एक नया व्यापार है । वेब ऑक्शन परंपरागत नीलामी जैसा ही होता है , सिवाए इसके कि इनमें खरीददार व विक्रेता कभी - कभी ही एक साथ ऑनलाइन होते हैं , यदि कभी होते भी हैं तो आमने सामने यदा - कदा ही मिलते हैं । विक्रेता किसी वेब साइट पर उत्पादों का विवरण पोस्ट करते हैं तथा खरीददार इलेक्ट्रॉनिक रूप से ही बोली लगाते हैं । परंपरागत नीलामी की तरह , कभी - कभी बोली काफी ज्यादा स्पर्धात्मक तथा उत्साहवर्द्धक बन जाती हैं । मूल रूप में वेब ऑक्शन साइट्स के दो मूल प्रकार हैं . 

ऑक्शन होम साइट्स पर बोली लगाने वालों को उन वस्तुओं को सीधे बेचा जाता है । ऑक्शन हाउस का मालिक उन वस्तुओं को प्रदर्शित करता है जो विशेष रूप से एक कंपनी के अत्यधिक स्टॉक से होती है । ये साइट्स परंपरागत नीलामी की तरह काम करती हैं , तथा कम कीमतें असाधारण नहीं होती । ऑक्शन हाउस साइट्स आमतौर पर खरीददारी के लिए सुरक्षित मानी जाती हैं ।

सपोर्ट                                            साइट  

  1. उत्पादों की तुलना  :-          www.shopping.com
  2. स्थानों का पता लगाना   :-    www.overstock.com
  3. कूपन प्राप्त करना    :-        www.ebates.com


पर्सन पर्सन वेब ऑक्शन साइट्स छोटी मार्केट की तरह संचालित की जाती है । साइट के मालिक अनेक खरीददारों तथा विक्रेताओं के लिए एक साथ एक फोरम उपलब्ध कराता है । जबकि इन साइट्स के मालिक विशेष रूप से बोली लगाने की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं , वह लेन - देन पूरा करने में तथा बेची गई वस्तुओं की प्रमाणिकता की जांच करने में शामिल नहीं होते । छोटी मार्केट पर खरीददारी से खरीददार तथा बेचने वालों को सावधान रहने की आवश्यकता नहीं होती । सर्वाधिक लोकप्रिय वेब ऑक्शन साइट्स की सूची के लिए चित्र देखिए ।

सुरक्षा :- ई - कॉमर्स की सबसे बड़ी चुनौती है वस्तुओं को खरीदने के लिए तेज , सुरक्षित , तथा विश्वसनीय भुगतान विधि को विकसित करना । भुगतान के तीन मूल विकल्प हैं , चेक , क्रेडिट कार्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक कैश ।

  1. चेक सर्वाधिक परंपरागत तरीका है । दुर्भाग्यवश , चेक से खरीददारी करने में इसे पूरा करने में अधिक समय लगता है । किसी वस्तु को चुनने के बाद खरीददार डाक के ज़रिए चेक भेजता है । चेक प्राप्त होने पर विक्रेता जांच करता है कि चेक सही है कि नहीं । यदि सही होता है , तो खरीदी गई वस्तु को भेज दिया जाता है ।
  2. क्रेडिट कार्ड से की जाने वाली खरीददारी चेक की अपेक्षा अधिक तेज़ और सुविधाजनक होती है । हालांकि इसमें खरीददार तथा विक्रेता दोनों के लिए क्रेडिट कार्ड से होने वाली धांधली के प्रति चिंता का मुख्य विषय होता है । कार्डरस के नाम से प्रसिद्ध अपराधी , क्रेडिट कार्ड को चोरी करने तथा उनसे खरीददारी करने में कुशल होते हैं , तथा चुराए गए क्रेडिट कार्डों का इंटरनेट पर उपयोग करते हैं ।

  3. इलेक्ट्रॉनिक कैश इंटरनेट पर परंपरागत कैश की तरह है । खरीददार तीसरी पार्टी से स्तुत डिजिटल कैश डिजिटल कैश ( इलेक्ट्रॉनिक करेंसी में दक्ष बैंक से ) खरीदते हैं तथा वस्तुएं खरीदने के लिए इसका उपयोग  करते हैं । विक्रेता तीसरी पार्टी के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कैश को परंगतागत कैश में बदलते हैं । हालांकि यह क्रेडिट कार्ड के द्वारा की जाने वाली खरीददारी की तरह सुविधाजनक नहीं होता , फिर भी इलेक्ट्रॉनिक कैश अधिक सुरक्षित होता है । इलेक्ट्रॉनिक कैश प्रोवाइडर्स की सूची के लिए चित्र देखिए ।

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