ऐक्सेस :- इंटरनेट तथा टेलीफोन की कार्य प्रणाली एक समान होती है । किसी कंप्यूटर को इंटरनेट से बिल्कुन उसी तरह जोड़ सकते हैं , जैसे एक फोन को टेलीफोन सिस्टम से जोड़ते हैं । जब आप इंटरनेट पर होते हैं , तब आपका कंप्यूटर एक विशाल कंप्यूटर की तरह नज़र आने वाला एक एक्सटेंशन बन जाता है ऐसा कंप्यूटर जिसकी शाखाएं पूरे विश्व में होती हैं । इंटरनेट का कनेक्शन प्राप्त करके वेब की खोज के लिए ब्राउज़र प्रोग्राम का उपयोग कर सकते हैं ।
प्रोवाइडर्स :- इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर ( आईएसपी ) के माध्यम से इंटरनेट तक सबसे आसान तरीके से पहुंचा जा सकता है । प्रोवाइडर्स पहले ही इंटरनेट से जुड़े रहते हैं तथा यूजर्स को इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए एक मार्ग अथवा कनेक्शन उपलब्ध कराते हैं । आपके महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में आपको मुफ्त इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करने के लिए संभव है कि लोकल एरिया नेटवकों अथवा डायलअप या टेलीफोन कनेक्शन का उपयोग किया जाता हो । व्यावसायिक रूप में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर राष्ट्रीय तथा वायरलेस प्रोवाइडर है ।
- राष्ट्रीय सर्विस प्रोवाइडर जैसे बीएसएनएल ( भारत संचार निगम लिमिटेड ) , वीएसएनएल ( विदेश संचार निगम लिमिटेड ) का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है । ये स्टैंडर्ड टेलीफोन या केबल कनेक्शनों के माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराते हैं इनके ज़रिए यूजर्स को साधारण शुल्क भी टेलीफोन के लिए बिना में ही देश में लगभग कहीं से भी लम्बी दूरी पर संपर्क कर सकते हैं , अतिरिक्त खर्च किए हुए ।
- वायरलेस सर्विस प्रोवाइडर्स वायरलेस मॉडेम तथा वायरलेस उपकरणों के एक विशाल संग्रह के साथ कंप्यूटरों पर इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करते हैं । यूजर्स डीएसएल , केबल , तथा वायरलेस मॉडेम जैसी किसी तकनीक का उपयोग करते हुए ISPs से जुड़ते हैं ।
प्रोग्राम :- वेब संसाधनों को उपलब्ध कराते हैं । ये सॉफ्टवेयर आपको दूर स्थित अनेक कंप्यूटरों से जोड़ते हैं , फाइलों को खोलते हैं तथा स्थानांतरित भी करते हैं , टेक्स्ट तथा चित्रों को प्रदर्शित करते हैं , तथा इंटरनेट एवम् वेब डॉक्यूमेंट्स के लिए एक गैर जटिल इंटरफेस उपकरण को उपलब्ध करवाते हैं । ब्राउज़र्स आपको एक वेबसाइट से दूसरी वेबसाइट तक आसानी से ले जाते हुए एक्सप्लोर , या सर्फ करने की सुविधा देते हैं । तीन प्रसिद्ध ब्राउज़र्स हैं , मोजिला फायरफॉक्स , एपिल सफारी तथा माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सप्लोरर ।
संसाधनों से जुड़ने के लिए , संसाधनों की लोकेशन या एड्रेस का उल्लेख करना आवश्यक होता है । ये एड्रेस यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर्स ( URL ) कहलाते हैं । सभी यू . आर . एल . के दो मूल भाग अवश्य होते हैं ।
पहला भाग संसाधन से जुड़ने के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्रोटोकॉल को प्रदर्शित करता है । प्रोटोकॉल्स कंप्यूटरों के बीच आंकड़ों ( सूचना ) के आदान - प्रदान करते हैं । प्रोटोकॉल http व्यापक रूप में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला वेब प्रोटोकॉल है । दूसरा भाग डोमेन नेम को प्रदर्शित करता है । यह एक विशेष एड्रेस प्रस्तुत करता है जहां संसाधन स्थित होते हैं । चित्र में डोमेन ndtv.com के रूप में प्रदर्शित है । ( अनेक URL में डायरेक्टरी का मार्ग , फाइल का नाम तथा प्वाइंटर्स का उल्लेख करने वाले अतिरिक्त भाग भी होते हैं । ) डॉट ( . ) के बाद डोमेन नाम का अंतिम भाग टॉप - लेवल डोमेन ( TLD ) होता है । यह संस्था के प्रकार की पहचान कराता है । उदाहरणतः को .com एक व्यावसायिक साइट का संकेत देता है ।
URL http://www.ndtv.com आपके कंप्यूटर उस कंप्यूटर से जोड़ता है , जो एन . डी . टी . वी . से संबंधित सूचना उपलब्ध कराता है । किसी वेबसाइट से कनेक्ट हो जाने पर ब्राउज़र उसकी डॉक्यूमेंट फाइल आपके कंप्यूटर पर नज़र आती हैं । इस डॉक्यूमेंट में हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज ( HTML ) के कमांड होते हैं । ब्राउज़र HTML की भाषा को समझकर डॉक्यूमेंट को वेब पेज के रूप में प्रदर्शित करता है । उदाहरण के तौर पर , जब आपका ब्राउज़र पहले इंटरनेट से जुड़ता है , तो ब्राउज़र सेटिंग में निर्दिष्ट वेबपेज को खोलता है । इस पेज में साइट की सूचना के साथ - साथ रेफ्रेन्स और हाइपरलिंक या लिंक भी होते हैं , जहां अन्य संबंधित सूचना जैसे- टेक्स्ट , फाइलें , ग्राफिक्स , ऑडियो तथा वीडियो आदि से संपर्क बनाने में सहायता मिलती है ।
ये डॉक्यूमेंट किसी नज़दीक स्थित कंप्यूटर के भी हो सकते हैं या फिर विश्व के सुदूर स्थित किसी स्थान के भी हो सकते हैं । वेब पेज पर ये लिंक विशिष्ट रूप से अंडरलाइन और रंगीन तथा / अथवा चित्र के रूप में नज़र आते हैं । संबन्धित सामग्री तक पहुंचने के लिए , आप बस हाइलाइट किए हुए टेक्स्ट या चित्र पर क्लिक करके उस कंप्यूटर से संपर्क बनाना होता है , जिसमें वह सामग्री मौजूद होती है और संबंधित सामग्री डिस्प्ले स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाती है । वेब पेज में रोचकता और क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए इनमें विशेष प्रोग्राम भी शामिल किये जा सकते हैं । सामान्य इंटरऐक्टिव विशिष्टताओं का समावेश करने के लिए जावास्क्रिप्ट लैंग्वेज का उपयोग किया जा सकता है , जिससे नई ब्राउजर विंडोज खोलना तथा ऑनलाइन फॉमों में दर्ज सूचनाओं को भरने जैसे कार्य किए जाते हैं । इनमें दूसरा उदाहरण एपेलेट्स का है , जो जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे जाते हैं । इन प्रोग्राम को तेजी से डाउनलोड किया जा सकता है तथा ये अधिकतर ब्राउज़र्स में चलाए जा सकते हैं । जावा एपेलेट्स का उपयोग एनीमेशन को प्रदर्शित करने , ग्राफिक्स , इंटरऐक्टिव गेम्स जैसी क्रियाओं में रोचकता लाने के लिए किया जाता है , तथा अन्य अनेक कार्यों को करने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है ।
ये डॉक्यूमेंट किसी नज़दीक स्थित कंप्यूटर के भी हो सकते हैं या फिर विश्व के सुदूर स्थित किसी स्थान के भी हो सकते हैं । वेब पेज पर ये लिंक विशिष्ट रूप से अंडरलाइन और रंगीन तथा / अथवा चित्र के रूप में नज़र आते हैं । संबन्धित सामग्री तक पहुंचने के लिए , आप बस हाइलाइट किए हुए टेक्स्ट या चित्र पर क्लिक करके उस कंप्यूटर से संपर्क बनाना होता है , जिसमें वह सामग्री मौजूद होती है और संबंधित सामग्री डिस्प्ले स्क्रीन पर प्रदर्शित हो जाती है । वेब पेज में रोचकता और क्रियाशीलता बढ़ाने के लिए इनमें विशेष प्रोग्राम भी शामिल किये जा सकते हैं । सामान्य इंटरऐक्टिव विशिष्टताओं का समावेश करने के लिए जावास्क्रिप्ट लैंग्वेज का उपयोग किया जा सकता है , जिससे नई ब्राउजर विंडोज खोलना तथा ऑनलाइन फॉमों में दर्ज सूचनाओं को भरने जैसे कार्य किए जाते हैं । इनमें दूसरा उदाहरण एपेलेट्स का है , जो जावा प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे जाते हैं । इन प्रोग्राम को तेजी से डाउनलोड किया जा सकता है तथा ये अधिकतर ब्राउज़र्स में चलाए जा सकते हैं । जावा एपेलेट्स का उपयोग एनीमेशन को प्रदर्शित करने , ग्राफिक्स , इंटरऐक्टिव गेम्स जैसी क्रियाओं में रोचकता लाने के लिए किया जाता है , तथा अन्य अनेक कार्यों को करने के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है ।
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